प्रिय
मित्र,
आज
सम्पूर्ण विश्व के समक्ष अन्याय, अशान्ति, असामनता, असुरक्षा, अधैर्य जैसी संकटकारी चुनौतियाँ हैं, जिनके स्थायी समाधान निकालने हेतु गम्भीर
चिन्तन तथा परिणामदायी कार्यों की आवश्यकता है | आशाजनक यह है कि महात्मा गाँधी ने
रचनात्मक कार्यक्रमों के रूप में अहिंसक क्रांति की जो पद्धति स्थापित की थी, उसे
सम्पूर्ण विश्व द्वारा इन चुनौतियों के प्रभावी समाधान के रूप में स्वीकार किया जा
रहा है | इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने गाँधी-जयन्ती को अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा
दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है |
महात्मा गाँधी, आचार्य विनोबा तथा जयप्रकाश
नारायण के सहयोगियों तथा परवर्ती कार्यकर्त्ताओं ने रचनात्मक कार्यों को संगठित
रूप से प्रयोग में जारी रखा | वर्त्तमान में भी ये कार्य हो रहे हैं, परन्तु ये
स्थानीय स्तर तक सीमित और वैयक्तिक अथवा अल्पसंगठित हैं | यद्यपि विनोबा जी की
मानसकन्या डॉ. निर्मला देशपाण्डे सहित द्वितीय पीढ़ी के अन्य गाँधीवादी
कार्यकर्त्ताओं ने आमलोगों को संगठित कर इस कार्य को आगे बढ़ाने में भरपूर योगदान
दिया है | साथ ही, महात्मा गाँधी द्वारा सन् 1932 में स्थापित हरिजन सेवक संघ, सर्व
सेवा संघ, गाँधी स्मारक निधि, गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान, अखिल भारत रचनात्मक समाज
सहित अन्य गाँधीवादी संगठन भी अपने सम्मेलनों तथा आयोजनों द्वारा रचनात्मक
कार्यकर्त्ताओं को संगठित करते रहे हैं परन्तु, इन्हें उत्तरोत्तर करते रहने की
आवश्यकता है |
आज सभी गाँधीवादी कार्यकर्त्ताओं, विचारकों तथा
संगठनों पर यह गम्भीर उत्तरदायित्व है कि वे शोषणविहीन, सहिष्णु, समावेशी तथा साधनसम्पन्न
समाज के निर्माण हेतु संगठित योगदान दें | यह एक सामाजिक अनिवार्यता है कि
समानधर्मा संगठन उभयनिष्ठ विषयों पर सहमति बनाकर सामूहिक रूप से कार्य करें |
सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह है कि उन सभी रचनात्मक कार्यकर्त्ताओं को, जो सीमित साधनों
के साथ परिणामदायी कार्य कर रहे हैं, एक ऐसे गतिशील तथा संवेदनशील नेटवर्क से जोड़ा
जाए जो अपने प्रत्येक हिस्से को सकारात्मक सहयोग देने में सक्षम हो, ताकि स्थानीय
स्तर पर सघन अभियान चलाया जा सके | साथ ही, यह भी आवश्यक है कि रचनात्मक
गतिविधियों हेतु साझे कार्यक्रम निश्चित किए जाएँ, जिनमें-
· ग्रामस्वराज्य : ग्रामीण जनता का
पुरुषार्थ जगाना, उन्हें नागरिक अधिकार और सामाजिक दायित्वों के प्रति सजग बनाना
· सामाजिक समता : प्रचलित भेदभावों
तथा कुप्रथाओं का उन्मूलन, वंचित वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने के रचनात्मक प्रयास
· सर्वधर्म समभाव तथा सहिष्णुता :
सभी धर्म-सम्प्रदायों के प्रति समान श्रद्धाभाव तथा सहिष्णुता का विचार
· युवा जागरण : युवाओं को रचनात्मक
कार्यक्रमों द्वारा गाँधी-विचार से अवगत कराना
· नारी सशक्तिकरण : नारी सशक्तिकरण
हेतु सहयोगात्मक सामाजिक माहौल बनाना
· स्वच्छता तथा पर्यावरण रक्षण :
स्वच्छता के प्रति सचेतता, पर्यावरण हितैषी व्यवहारों को प्रोत्साहन देना
· रचनात्मक प्रशिक्षण तथा कौशल विकास
: उद्योगमूलक प्रशिक्षण की व्यवस्था, रोजगारपरक तथा रचनात्मक कौशल का विकास
को शामिल किया जाना अपेक्षित है तथा इन
कार्यक्रमों में संवाद स्थापित करने तथा रचनात्मक गतिविधियों के नवीन कार्यक्रम तय
करने हेतु हरिजन सेवक संघ 25 तथा 26 नवम्बर 2017 को अपने केन्द्रीय कार्यालय गाँधी
आश्रम, किंग्सवे कैम्प, दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है | इस
सम्मेलन में आप रचनात्मक साथियों सहित सादर आमंत्रित हैं | आपकी उपस्थिति इस मिशन
को मूर्तरूप देने में सहायक सिद्ध होगी |
सादर |
शंकर कुमार सान्याल
अध्यक्ष
हरिजन सेवक संघ
(महात्मा गाँधी द्वारा सन् 1932 में स्थापित)
गाँधी आश्रम, किंग्सवे कैम्प, दिल्ली 110009
फोन : 011-27113641, फैक्स : 011-27652113
ईमेल : हरिजनडॉटसंघएटरेडिफमेलडॉटकॉम